“बजट 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रस्तावों ने छेड़ा आर्थिक तूफान, आम आदमी की जेब पर भारी असर”

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https://youtu.be/EW4Wu417a6Uद्वारा: वैशाली यादव

भारत का बजट 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रस्तावों पर गहराती नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ

नई दिल्ली, 30 जुलाई 2024 — भारत सरकार द्वारा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट 2024 ने देशभर में कई आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर विवाद खड़ा कर दिया है। इस बजट के प्रमुख प्रावधानों में टैक्स नीतियों में बदलाव, निजी और लक्जरी वस्तुओं पर बढ़े हुए टैक्स, और संपत्तियों पर नए टैक्स प्रावधान शामिल हैं। इन प्रस्तावों ने व्यापक नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। आइए, जानें इस बजट के प्रमुख बिंदुओं और आम आदमी पर इसके संभावित प्रभाव को:

टैक्स नीतियों में बदलाव:

वित्त मंत्री ने इस बजट में निजी और लक्जरी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव पेश किए हैं:

  1. लक्जरी वस्तुओं पर टैक्स: बजट में लक्जरी और ऐशोआराम की वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। लक्जरी कारों, महंगे गहनों, और उच्च गुणवत्ता वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैक्स दर को 15% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया है। इससे उच्च आय वर्ग को तो प्रभावित किया जाएगा, लेकिन महंगी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से आम लोगों पर भी असर पड़ेगा।

  2. पर्सनल वस्तुओं पर टैक्स: निजी वस्तुओं पर भी टैक्स दरें बढ़ाई गई हैं। उच्च गुणवत्ता वाले वस्त्रों, प्रीमियम कास्मेटिक्स, और अन्य महंगी व्यक्तिगत वस्तुओं पर टैक्स दर को 10% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है। इससे मध्यम वर्ग की जीवनशैली पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, क्योंकि महंगी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी।

संपत्ति पर टैक्स:

बजट में अचल संपत्तियों पर भी टैक्स के नए प्रावधान किए गए हैं:

  1. अचल संपत्ति पर टैक्स: 1 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों पर वार्षिक टैक्स दर को 0.5% से बढ़ाकर 1% कर दिया गया है। इसके अलावा, संपत्तियों की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स को 20% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया है। इससे संपत्ति के मालिकों और निवेशकों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो अपनी संपत्तियों को बेचने पर विचार कर रहे हैं।

आम आदमी पर बजट के प्रभाव:

इस बजट के प्रस्तावों का आम आदमी पर गहरा असर पड़ सकता है:

  1. महंगाई में वृद्धि: निजी वस्तुओं और लक्जरी उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने से इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी। इससे आम लोगों के दैनिक जीवन की लागत में वृद्धि होगी। वस्त्र, कास्मेटिक्स, और अन्य व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं महंगी हो जाएंगी, जिससे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए जीवनयापन मुश्किल हो सकता है।

  2. संपत्ति बिक्री पर बोझ: संपत्तियों पर बढ़े हुए टैक्स और कैपिटल गेन टैक्स से संपत्ति के मालिकों को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है। जिन लोगों ने संपत्ति की बिक्री की योजना बनाई है, उन्हें अधिक टैक्स देना पड़ेगा, जिससे उनकी बिक्री की योजनाओं पर असर पड़ सकता है।

  3. उपभोक्ता खर्च में कमी: महंगे लक्जरी और व्यक्तिगत वस्तुओं पर बढ़े हुए टैक्स के कारण उपभोक्ता खर्च में कमी आ सकती है। इससे व्यापारों की बिक्री प्रभावित हो सकती है, और इससे आर्थिक विकास की गति भी धीमी हो सकती है।

जनता और व्यापारिक समुदाय की प्रतिक्रिया:

इन टैक्स नीतियों की घोषणा के बाद, आम जनता और व्यापारिक समुदाय के बीच व्यापक असंतोष देखने को मिला है:

  1. आम जनता की चिंता: महंगाई और निजी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने से मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग में गहरी चिंता फैल गई है। व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स बढ़ने से दैनिक जीवन की लागत बढ़ गई है, जिससे आम लोगों की जीवनशैली पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ट्विटर पर लोग इस बजट के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं। एक यूजर ने लिखा, "क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जनता की कठिनाइयों की कोई समझ नहीं है? यह बजट गरीबों के लिए एक झटका है।"

  2. व्यापारिक समुदाय की प्रतिक्रिया: व्यापारिक समुदाय ने भी इस बजट को लेकर निराशा व्यक्त की है। व्यापारियों का कहना है कि टैक्स बढ़ाने से उनकी बिक्री प्रभावित हो सकती है और उपभोक्ताओं की खरीदारी की आदतें बदल सकती हैं। एक व्यापारी ने ट्वीट किया, "बजट में टैक्स बढ़ाना व्यापार के लिए आत्मघाती कदम है। निर्मला जी, कृपया समझें कि यह आपके प्रस्तावों के प्रतिकूल परिणाम ला सकता है।"

विपक्षी दलों की आलोचना:

विपक्षी दलों ने बजट के प्रति तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसे "जनविरोधी" और "आर्थिक असंवेदनशील" करार दिया है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा, "यह बजट गरीबों और मध्यम वर्ग की उम्मीदों पर पानी फेरता है और अमीरों को लाभ पहुंचाता है।" विपक्ष का कहना है कि संपत्ति और लक्जरी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने से आम जनता पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, जबकि अमीर वर्ग को कोई असर नहीं पड़ेगा।

आगे की राह:

बजट 2024 के प्रति बढ़ती असंतोष की लहर के बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस आलोचना का सामना कैसे करती है। क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम इस बजट के प्रावधानों में सुधार करेंगी, या यह असंतोष और विवाद बढ़ता रहेगा? आने वाले दिनों में, बजट के प्रति उठ रहे सवाल और विवाद सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकते हैं।

बजट 2024 ने भारत की सियासत और अर्थशास्त्र में नया विवाद पैदा किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की योजनाओं पर उठ रही नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ इस बात का संकेत हैं कि बजट में कई सुधार की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि वह इस असंतोष को ध्यान में रखते हुए अपने प्रस्तावों पर पुनर्विचार करें और आम जनता, व्यापारिक समुदाय और विशेषज्ञों की चिंताओं को गंभीरता से लें।

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