पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में आपातकाल पर टिप्पणी के लिए ओम बिड़ला की सराहना की: 'खुशी है कि...'
पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में आपातकाल पर टिप्पणी के लिए ओम बिड़ला की सराहना की: 'खुशी है कि...'
लोकसभा के एक महत्वपूर्ण सत्र में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल की अवधि पर टिप्पणी करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री की यह सराहना एक बड़े चर्चा का हिस्सा थी, जिसमें लोकतांत्रिक मूल्यों और भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा पर जोर दिया गया था।
टिप्पणी का संदर्भ
सत्र के दौरान, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भारत के इतिहास में आपातकाल के समय के बारे में महत्वपूर्ण बयान दिया। यह अवधि 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक चली, जिसे भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण समय में से एक माना जाता है। इस दौरान नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित कर दिया गया था और राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया था। बिड़ला की टिप्पणी ने इस बात पर जोर दिया कि इन घटनाओं को एक सबक के रूप में याद रखना आवश्यक है और देश के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बिड़ला की टिप्पणी का समर्थन और प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "खुशी है कि अध्यक्ष महोदय ने हमें आपातकाल की अवधि की याद दिलाई। यह महत्वपूर्ण है कि युवा पीढ़ी उन बलिदानों को समझे जो हमारे देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए गए थे।"
आपातकाल को याद रखने का महत्व
पीएम मोदी ने आपातकाल की अवधि को याद रखने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यह हमें संवैधानिक मूल्यों और नागरिक स्वतंत्रताओं के महत्व की याद दिलाता है। उन्होंने उल्लेख किया कि इतिहास के इस हिस्से को समझना युवा पीढ़ी के लिए आवश्यक है, जो देश के भविष्य के संरक्षक हैं।
पीएम मोदी द्वारा किए गए मुख्य बिंदु:
लोकतंत्र की रक्षा: मोदी ने इतिहास से सीखने के महत्व पर जोर दिया ताकि लोकतंत्र को फिर कभी कमजोर न किया जा सके।
युवाओं की भूमिका: उन्होंने युवा पीढ़ी से कहा कि वे पिछले संघर्षों को जानें ताकि वे आज की स्वतंत्रताओं की सराहना कर सकें।
निरंतर सतर्कता: प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा के लिए लगातार सतर्कता और सभी नागरिकों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
अध्यक्ष ओम बिड़ला की भूमिका
ओम बिड़ला को लोकसभा की गरिमा और शिष्टाचार बनाए रखने के प्रयासों के लिए पहचाना गया है। आपातकाल की अवधि पर उनकी टिप्पणी संसद सदस्यों और आम जनता के बीच लोकतांत्रिक सिद्धांतों की गहरी समझ को बढ़ावा देने के उनके व्यापक प्रयासों के अनुरूप है।
अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
सत्र के दौरान विभिन्न दलों के नेताओं ने बिड़ला की टिप्पणी के महत्व को स्वीकार किया। कई सांसदों ने सहमति व्यक्त की कि ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं पर विचार करना लोकतंत्र के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आपातकाल की अवधि पर टिप्पणी के लिए ओम बिड़ला की सराहना भारत के इतिहास को याद रखने और सीखने की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करती है। यह सराहना न केवल पिछले संघर्षों का सम्मान करती है बल्कि देश की नींव को बनाने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा और पोषण के प्रति चल रही प्रतिबद्धता को भी मजबूत करती है।
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